कमरे का पंखा भी आज राजनीती जैसी हो गयी है होने न होने का कोई फायदा नहीं....
अपना नजरिया
बुधवार, 22 मई 2013
जिससे न दूर भगा जा सकता है न पास ....
कुछ लोग जीवन में बहुत कम मिलते है पर उनकी एक मुलाक़ात , एक याद , एक ऐसी बात जो हमेशा कही न कही याद आ जाती है जिसमे कुछ अपना सा लगता है ऐसे लोगो का रोज मिलना नहीं होता पर अपने करीबियों में जिनके दुःख , सुख में हमारे दुःख सुख अपने आप ही जुड़ जाते है ..... उनके जाने पर हमेशा उस एक पल की याद कई दिनों तक रह रह कर ताज़ा हो जाती है ऐसे लम्हे हमेशा आँखों में आंसू और जीवन की असल सच्चाई ( एक दिन सभी को जाना है ) यादकर अन्दर से टूट जाने पर मजबूर कर देते है फिर भी लोग कुछ दिनों बाद उसे भुलाकर झूठी ज़िन्दगी की पटरी पर चलने को मजबूर हो जाते है जीवन की यही सचाही है जिससे न दूर भगा जा सकता है न पास ....
माना की उलझनों से भरी है ज़िन्दगी
माना की उलझनों से भरी है ज़िन्दगी
फिर भी उलझनों से बड़ी है ज़िन्दगी
जो ख्वाब देखे है हकीकत के लिए
उलझनों में न भूल जाइये
जो ख्वाब है खुद के लिए
माना ज़िन्दगी बहुत रुलाती है
कुछ पल के लिए
अपना समझ के भूल जाइये कुछ पल के लिए
ये माना बेवफा है ज़िन्दगी
दगा दे जाएगी एक दिन
इस दगाबाजी के लिए मत रो ज़िन्दगी भर के लिए .
-अभय प्रताप सिंह
फिर भी उलझनों से बड़ी है ज़िन्दगी
जो ख्वाब देखे है हकीकत के लिए
उलझनों में न भूल जाइये
जो ख्वाब है खुद के लिए
माना ज़िन्दगी बहुत रुलाती है
कुछ पल के लिए
अपना समझ के भूल जाइये कुछ पल के लिए
ये माना बेवफा है ज़िन्दगी
दगा दे जाएगी एक दिन
इस दगाबाजी के लिए मत रो ज़िन्दगी भर के लिए .
-अभय प्रताप सिंह
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